SLBC tunnel collapse: तेलंगाना में शनिवार को श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना के निर्माणाधीन खंड की छत का एक हिस्सा ढह जाने से करीब 14 किलोमीटर अंदर आठ लोग फंस गए हैं। तेलंगाना सरकार, सेना, नौसेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और देश के कई सुरंग विशेषज्ञों के साथ मिलकर उन आठ लोगों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। तेलंगाना सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, सुरंग में पानी का रिसाव एक ‘बड़ी समस्या’ बना हुआ है।
तेलंगाना के नागरकुर्नूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (SLBC) सुरंग के निर्माणाधीन खंड की छत ढहने से आठ श्रमिक फंस गए हैं। यह घटना शनिवार सुबह उस समय हुई जब 50 से अधिक श्रमिक और इंजीनियर सुरंग के अंदर काम कर रहे थे। सुरंग के अंदर 13.5 किलोमीटर तक जाने के बाद अचानक छत ढह गई, जिससे दो इंजीनियर और छह अन्य श्रमिक फंस गए, जबकि 42 अन्य श्रमिक सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहे।
बचाव कार्य में चुनौतियाँ
बचाव दल ने घटनास्थल पर पहुंचकर फंसे हुए श्रमिकों को निकालने का प्रयास शुरू किया। हालांकि, मलबे में लोहे, कीचड़ और सीमेंट के ब्लॉकों का जमाव हो गया है, जिससे बचाव कार्य कठिन हो गया है। बचाव दल ने 13 किलोमीटर तक पहुंचने में सफलता प्राप्त की है, लेकिन मलबा हटाने में कठिनाई आ रही है। इसके अलावा, सुरंग के अंदर घुटनों तक कीचड़ भरी हुई है, जिससे आगे बढ़ना मुश्किल हो रहा है।
सरकार की ओर से जारी सूचना के मुताबिक, बचाव दल के सुंरग के अंदर फंसे लोगों के नजदीक पहुंच गये हैं। लेकिन अभी तक अंदर फंसे लोगों से कोई संपर्क नहीं हो सका है। तेलंगाना सरकार के अधिकारियों के मुताबिक, सुरंग में पानी का रिसाव एक ‘बड़ी समस्या’ बना हुआ है।
राजनीतिक और सार्वजनिक प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार बचाव दलों के साथ फंसे हुए श्रमिकों को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
अधिकारियों ने कहा, सुरंग में लगातार पानी निकालने और ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की व्यवस्था की गई है। बचाव दल सुरंग में गीली मिट्टी को हटाने में जुटे हुए हैं और दुर्घटनास्थल तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्गों की जाँच कर रहे हैं। तेलंगाना के मंत्री जे.कृष्णा राव ने कहा कि सुरंग में काफी मलबा जमा हो चुका है, जिससे अंदर चलना मुश्किल हो गया है। रेस्क्यू टीम उसमें से निकलने के लिए रबर ट्यूब और लकड़ी के तख्तों का उपयोग कर रही हैं। मंत्री ने कहा कि जब सुरंग ढही, तब लगभग 70 लोग सुरंग में काम कर रहे थे और उनमें से अधिकतर बच निकलने में सफल रहे।
परिजनों की चिंता
फंसे हुए श्रमिकों में से चार झारखंड के गुमला जिले के निवासी हैं। उनके परिजनों ने कहा कि अब ईश्वर पर ही भरोसा है, क्योंकि अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है।
स्थिति की गंभीरता
बचाव दल की कड़ी मेहनत के बावजूद, सुरंग के अंदर फंसे श्रमिकों को निकालने में सफलता नहीं मिल पाई है। तेलंगाना के मंत्री जे. कृष्ण राव ने कहा कि इन परिस्थितियों में बचने की संभावना “बहुत अच्छी नहीं है।”
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, राज्य सरकार विशेषज्ञों की मदद ले रही है, जिनमें पिछले साल उत्तराखंड में इसी तरह की घटना में फंसे श्रमिकों को बचाने वाले लोग भी शामिल हैं। इसके अलावा, सरकार सेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) की भी मदद ले रही है।
बचाव कार्य जारी है, और अधिकारियों ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए हर संभव प्रयास करने का आश्वासन दिया है।
किस राज्य के कितने लोग फंसे हैं?
सुरंग के अंदर फंसे हुए लोगों में उत्तर प्रदेश के मनोज कुमार (प्रोजेक्ट इंजीनियर), उत्तर प्रदेश के श्रीनिवास (फील्ड इंजीनियर), झारखंड के संदीप साहू (श्रमिक), झारखंड के जातक (श्रमिक), झारखंड के संतोष साहू (श्रमिक), झारखंड के अनुज साहू (श्रमिक), जम्मू और कश्मीर के सनी सिंह (श्रमिक) और पंजाब के गुरप्रीत सिंह (श्रमिक) शामिल हैं। 36 घंटे से फंसे हैं गुमला के 4 मजदूर, CM हेमंत सोरेन ले रहे पल-पल की जानकारी टनल में फंसे मजदूरों में गुमला जिले के सदर थाना क्षेत्र के तिर्रा गांव निवासी संतोष साहू, घाघरा थाना क्षेत्र के खंभिया कुंबाटोली गांव निवासी रामप्रताप साहू का बेटा अनुज साहू, रायडीह थाना क्षेत्र के कोबीटोली गांव निवासी माघे खेस का बेटा जगता खेस और पालकोट थाना क्षेत्र के उमड़ा नकटी टोली गांव के जीतू साहू का बेटा संदीप साहू शामिल हैं। सबसे पहले हादसे की खबर टनल से बचकर निकल भागने में सफल रहे दो मजदूरों ने स्वजन को फोन कर दी। गुमला के नकटी टोला गांव से कुल 40 मजदूर श्रीशैलम प्रोजेक्ट में काम करने गए हैं।