Sneha Debnath Suicide: ‘असफल और बोझ…’, सामने आया DU की छात्रा स्नेहा देबनाथ का सुसाइड नोट

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Sneha Debnath Suicide: दिल्ली यूनिवर्सिटी की 19 वर्षीय स्नेहा देबनाथ ने सिग्नेचर ब्रिज से कूदकर आत्महत्या कर ली. सुसाइड नोट में उसने अपनी मर्जी से यह कदम उठाने और जीवन के असहनीय होने की बात कही है.

DU छात्रा स्नेहा देबनाथ ने सिग्नेचर ब्रिज से कूदकर दी जान, सुसाइड नोट में लिखा— “मैं असफल और बोझ हूं”

दिल्ली यूनिवर्सिटी की 19 वर्षीय छात्रा स्नेहा देबनाथ ने सिग्नेचर ब्रिज से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली। बीते छह दिनों से लापता स्नेहा की तलाश में जुटी पुलिस को आखिरकार उसका शव यमुना नदी में सिग्नेचर ब्रिज के नीचे मिला। अब इस मामले में एक सुसाइड नोट भी सामने आया है, जिससे इस दुखद घटना की वजहें सामने आई हैं।

पुलिस को बरामद हुआ सुसाइड नोट अंग्रेजी भाषा में लिखा गया है। उसमें स्नेहा ने स्पष्ट किया है कि यह कदम उसने अपनी मर्जी से उठाया, किसी भी प्रकार के दबाव में आकर नहीं। सुसाइड नोट में लिखा है:

“Hello, यह पूरी तरह से मेरा अपना फैसला है। मैंने किसी के दबाव में आकर कोई कदम नहीं उठाया है। मैंने 7 जुलाई की सुबह दिल्ली के सिग्नेचर ब्रिज से कूदकर अपनी जान देने का निर्णय लिया है। मैं खुद को असफल और एक बोझ महसूस करती हूं।”

“जिंदगी जीना अब असहनीय हो गया था”

दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा स्नेहा देबनाथ ने अपने सुसाइड नोट में आत्महत्या की वजह बताते हुए लिखा, “मैंने इस जिंदगी को खत्म करने का फैसला लिया है, क्योंकि यह अब मेरे लिए असहनीय हो चुकी थी।”

स्नेहा ने स्पष्ट किया कि इस फैसले के लिए कोई और जिम्मेदार नहीं है। उन्होंने लिखा, “यह किसी और की नहीं, बल्कि सिर्फ मेरी गलती है। मेरे सुसाइड केस में कोई गड़बड़ी नहीं है। यह पूरी तरह से मेरा अपना फैसला है।”

सुसाइड नोट के अंत में छात्रा ने स्वयं अपना नाम भी लिखा, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि यह नोट उसी का था।

कैब में जाने से पहले पड़ोसी से मिली थी स्नेहा

दिल्ली यूनिवर्सिटी की छात्रा स्नेहा देबनाथ के आत्महत्या मामले में एक नया खुलासा हुआ है। 7 जुलाई की सुबह, अपने घर से निकलने से ठीक पहले स्नेहा की अपने पड़ोसी से आखिरी बार मुलाकात हुई थी।

पर्यावरण कॉम्प्लेक्स, जहाँ स्नेहा रहती थी, वहां के एक पड़ोसी ने न्यूज़ एजेंसी IANS को बताया कि उस दिन वह पूरी तरह सामान्य लग रही थी। पड़ोसी ने कहा:

“7 जुलाई की सुबह जब मेरी उससे मुलाकात हुई, वह बिल्कुल सामान्य थी। वह फोन पर बात कर रही थी और उसके हाव-भाव से कोई परेशानी झलकती नहीं थी। मुझे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वह इस तरह का कोई कदम उठा सकती है।”

उन्होंने यह भी बताया कि यह मुलाकात सुबह करीब 5 से 5:30 बजे के बीच हुई थी, जब स्नेहा कैब में बैठकर घर से निकल रही थी

इस बातचीत से यह साफ होता है कि स्नेहा के चेहरे पर उस वक्त कोई तनाव या बेचैनी नजर नहीं आई थी, जिससे उसके इस कदम की किसी को भनक भी नहीं लगी।

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