बांके बिहारी मंदिर में बवाल: महिला श्रद्धालु और सुरक्षा कर्मियों में झड़प

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Banke Bihari Temple News: इस घटना के बाद मंदिर में अफरा-तफरी मच गई और एक महिला श्रद्धालु बेहोश हो गई. इस मामले का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है और मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं.

मथुरा के वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर में सोमवार (8 सितंबर) को हुई घटना ने एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। मंदिर में महिला श्रद्धालुओं और सुरक्षा कर्मियों के बीच झड़प हो गई, जो देखते ही देखते मारपीट और धक्का-मुक्की में बदल गई।

जानकारी के अनुसार, विवाद तब शुरू हुआ जब सुरक्षा कर्मियों ने कुछ श्रद्धालुओं को कथित रूप से वीआईपी दर्शन करने से रोका। इससे महिला श्रद्धालु आक्रोशित हो गईं और मंदिर परिसर में हंगामा खड़ा हो गया।

इस दौरान अफरा-तफरी के बीच एक महिला श्रद्धालु बेहोश हो गई और भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। पूरी घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिससे मंदिर की सुरक्षा और प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। विवाद का मुख्य कारण वीआईपी घेरे में जाकर दर्शन करने को लेकर बताया जा रहा है।

कई बार बिना दर्शन के लौट जाते हैं भक्त

यह कोई पहली घटना नहीं है जब बांके बिहारी मंदिर में इस तरह का विवाद सामने आया हो। इससे पहले भी VIP दर्शन, फोटो खींचने और अन्य व्यवस्थाओं को लेकर श्रद्धालुओं और सुरक्षाकर्मियों के बीच टकराव हो चुके हैं।

स्थानीय लोगों और भक्तों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही और अव्यवस्थित सुरक्षा व्यवस्था के चलते ऐसी घटनाएं बार-बार होती हैं। कई बार तो मंदिर में भीड़ इतनी अधिक हो जाती है कि श्रद्धालु बिना दर्शन किए ही लौटने को मजबूर हो जाते हैं।

बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर के लिए 150 करोड़ का प्रस्ताव

बांके बिहारी मंदिर में बार-बार सामने आ रही अव्यवस्था और घटनाओं को देखते हुए यूपी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने मंदिर कॉरिडोर निर्माण और जमीन अधिग्रहण के लिए 150 करोड़ रुपये प्रस्तावित किए हैं।

योजना के तहत करीब 7000 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्रफल में कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा, जिसमें मंदिर के चारों ओर मौजूद पांच प्रमुख मार्गों को शामिल किया जाएगा।

हालांकि, कॉरिडोर परियोजना की घोषणा के बाद स्थानीय निवासियों और सेवायत परिवारों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया है। उनका कहना है कि इस परियोजना के चलते उनके पुराने घर और दुकानें हट जाएंगी, जिससे वृंदावन की प्राचीन गलियां और सांस्कृतिक पहचान समाप्त हो सकती है।

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