दिल्ली में इंटरनेशनल ड्रग रैकेट का भंडाफोड़, बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित दवाएं बरामद

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Delhi News: आरोपी ने पूछताछ में बताया कि वह भागीरथी पैलेस मार्केट में एक छोटी दुकान चलाता है और वहीं से वह प्रतिबंधित दावों का सौदा करता था.

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने प्रतिबंधित साइकोट्रोपिक दवा ट्रामाडोल की तस्करी में लिप्त एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में पुलिस ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है और उनके कब्जे से भारी मात्रा में ट्रामाडोल कैप्सूल बरामद किए गए हैं।

क्राइम ब्रांच को खुफिया सूचना मिली थी कि तीस हजारी कोर्ट के पास एक व्यक्ति प्रतिबंधित दवाओं की डिलीवरी देने आने वाला है। सूचना की पुष्टि होने के बाद पुलिस टीम ने मौके पर जाल बिछाया और आरोपी हरीश खुराना को ट्रामाडोल कैप्सूल के साथ रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।

पूछताछ में बेनकाब हुआ तस्करी का बड़ा नेटवर्क

दिल्ली पुलिस की पूछताछ में खुलासा हुआ कि गिरफ्तार आरोपी हरीश खुराना पहले भी एनडीपीएस एक्ट के तहत दो बार जेल जा चुका है। उसने बताया कि वह भागीरथी पैलेस मार्केट में एक छोटी सी दुकान चलाता था और वहीं से प्रतिबंधित दवाओं की अवैध बिक्री करता था।

आगे की पूछताछ में हरीश ने दो अन्य लोगों—गौतम सिंह और अमित गोयल—के नाम उजागर किए। पुलिस के अनुसार, गौतम सिंह ने पहले भागीरथी पैलेस में एक पैकिंग असिस्टेंट के तौर पर काम शुरू किया था, लेकिन बाद में अपनी दुकान खोलकर काउंटर दवाओं का व्यापार करने लगा।

गौतम ही हरीश को ट्रामाडोल की सप्लाई करता था, जो उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के भालोटिया बाजार से मंगाई जाती थी।
पुलिस जांच में सामने आया कि अमित गोयल ने पैसों के लालच में ट्रामाडोल जैसी प्रतिबंधित दवाओं की आपूर्ति शुरू की थी। वह इन दवाओं को सामान्य दवाओं की तरह पैक करके कोरियर के जरिए दिल्ली भेजता था, ताकि पकड़ में न आए।

मामले की जांच जारी

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच अब इस अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी गैंग की पूरी सप्लाई चेन का पता लगाने में जुटी है। जांच का उद्देश्य यह जानना है कि इस नेटवर्क से और कौन-कौन लोग जुड़े हैं और उनकी पहुंच दिल्ली-एनसीआर में कहां-कहां तक फैली हुई है।

पुलिस की टीमें संभावित ठिकानों की पहचान करने के साथ-साथ ड्रग्स की आपूर्ति और वितरण से जुड़े सभी संपर्कों की कड़ी जोड़ने में लगी हैं। अधिकारियों का मानना है कि यह नेटवर्क और भी बड़ा हो सकता है, जिसकी परतें धीरे-धीरे सामने आ रही हैं।

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