लद्दाख पहुंचे शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर, हिमाचल के एजुकेशन सिस्टम पर कही ये बड़ी बात

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हिमाचल के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने लद्दाख में सीमांत क्षेत्रों की शिक्षा पर बैठक में भाग लिया. बैठक में सीबीएसई प्रणाली, शिक्षकों का प्रशिक्षण पर जोर दिया गया.

Himachal News: हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने हाल ही में लद्दाख में सीमांत और जनजातीय क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था पर आयोजित एक अहम बैठक में हिस्सा लिया। इस बैठक में असम, मेघालय और लद्दाख जैसे पूर्वोत्तर व पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा से जुड़ी चुनौतियों और समाधान पर व्यापक चर्चा हुई।

मंत्री रोहित ठाकुर ने कहा कि इन क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व कम होने के साथ-साथ संसाधनों की उपलब्धता भी सीमित है। विद्यालयों की संख्या भी अपेक्षाकृत कम है। उन्होंने बताया कि हिमाचल की तरह लद्दाख में भी करीब 850 स्कूल संचालित हो रहे हैं।

बैठक में सीबीएसई प्रणाली लागू करने, शिक्षकों के प्रशिक्षण, ऊर्जा संरक्षण, पर्वतीय वास्तुकला और सीमांत इलाकों में स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर को सशक्त बनाने पर जोर दिया गया। रोहित ठाकुर ने लद्दाख के स्कूलों का निरीक्षण भी किया और यह सुझाव दिया कि हिमाचल के शिक्षकों को प्रशिक्षण के लिए लद्दाख भेजा जाएगा ताकि वे स्थानीय चुनौतियों और अनुभवों से सीख सकें।

उन्होंने यह भी कहा कि सीमांत और जनजातीय क्षेत्रों की भौगोलिक और सामाजिक स्थितियों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा नीतियों में आवश्यक सुधार किया जाना चाहिए। इस दौरान लद्दाख हिल काउंसिल के प्रतिनिधियों के साथ भी शिक्षा, स्थानीय मुद्दों, पारंपरिक आर्किटेक्चर और ऊर्जा संरक्षण पर विस्तार से बातचीत की गई।

अतिक्रमण और वन कटान को लेकर भी चिंतित दिखे शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर

हिमाचल प्रदेश के शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने लद्दाख दौरे के दौरान अपने संबोधन में ऊपरी शिमला क्षेत्र, विशेष रूप से बावली क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण और वन कटान को लेकर चिंता जताई। उन्होंने स्पष्ट किया कि इन मामलों में की जा रही कार्रवाई उच्च न्यायालय के आदेशों के अंतर्गत है, लेकिन सरकार की मंशा गरीब और भूमिहीन वर्गों के प्रति संवेदनशील है।

मंत्री ने यह मांग की कि एफआर (फॉरेस्ट राइट्स) नीति के अंतर्गत 5 से 10 बीघा तक की भूमि का आवंटन वास्तविक ज़रूरतमंदों तक पहुंचे और विस्थापितों को समुचित राहत प्रदान की जाए।

शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि वर्ष 2023 की आपदा में प्रदेश के कई स्कूल और कॉलेज क्षतिग्रस्त हुए थे। इस संबंध में विभाग ने सभी क्षतिग्रस्त भवनों की रिपोर्ट मांगी है और स्थायी पुनर्निर्माण के लिए फंडिंग की योजना तैयार की जा रही है। वर्तमान में कई विद्यालय अस्थायी भवनों में संचालित हो रहे हैं, और कई जगहों पर किराये के भवनों में भी शिक्षण कार्य चल रहा है।

उन्होंने यह जानकारी भी दी कि केंद्र सरकार से वर्ष 2023 की आपदा राहत के तहत लगभग 2000 करोड़ रुपये की सहायता प्राप्त हुई है, जिसमें से शिक्षा विभाग को पहले चरण में लगभग 30 करोड़ रुपये मिले हैं। हालांकि यह राशि पुरानी आपदा की भरपाई के लिए है, और वर्तमान नुकसान की भरपाई हेतु अनटायर्ड फंड (लचीला कोष) की आवश्यकता बनी हुई है।

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