ताइवान की उपराष्ट्रपति सियाओ बी-खिम ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में चीन का ताइवान पर दबाव लगातार बढ़ा है, लेकिन ताइवान की जनता शांति पसंद है।
ताइवान की उपराष्ट्रपति सियाओ बी-खिम ने शुक्रवार को कहा कि ताइपेई चीन के साथ किसी भी प्रकार का टकराव नहीं चाहता और न ही वह किसी तरह की भिड़ंत को उकसाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि बीजिंग की “आक्रामक” सैन्य गतिविधियां उसके लिए ही नुकसानदायक साबित हो रही हैं।
सियाओ बी-खिम ने ताइपेई स्थित ताइवान फॉरेन करेस्पॉन्डेंट्स क्लब में मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि पिछले कुछ वर्षों में चीन का ताइवान पर दबाव काफी बढ़ा है, लेकिन ताइवान की जनता शांति पसंद और शांतिपूर्ण समाधान की पक्षधर है।
ताइवान का बयान: “हम टकराव नहीं चाहते, बातचीत के लिए तैयार हैं”
ताइवान की उपराष्ट्रपति सियाओ बी-खिम ने दोहराया कि उनका देश टकराव नहीं चाहता और न ही किसी प्रकार की संघर्ष की स्थिति को उकसाएगा। उन्होंने कहा, “हम टकराव नहीं चाहते; हम किसी संघर्ष को नहीं भड़काएंगे।” यह बयान उन्होंने राष्ट्रपति लाई छिंग-थे की उस पेशकश को दोहराते हुए दिया, जिसमें ताइपेई और बीजिंग के बीच बातचीत की बात कही गई है।
चीन और ताइवान के बीच लंबे समय से विवाद जारी है, जिसमें चीन लोकतांत्रिक ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है। बीजिंग ने ताइवान के राष्ट्रपति लाई छिंग-थे को ‘अलगाववादी’ करार दिया है।
हालांकि, ताइवान के राष्ट्रपति लाई छिंग-थे ने कई बार चीन से बातचीत का प्रस्ताव रखा है, लेकिन हर बार बीजिंग ने उसे खारिज कर दिया। 2022 से अब तक चीन ताइवान के चारों ओर छह बार बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास कर चुका है, जिससे तनाव और बढ़ गया है।
उप-राष्ट्रपति सियाओ ने यह भी कहा कि दशकों से ताइवान के लोग और व्यापार जगत चीन की आर्थिक तरक्की और समृद्धि में योगदान दे रहे हैं, और यह सब कुछ केवल एक शांतिपूर्ण और स्थिर माहौल में ही संभव हो सका है।
ताइवान की उपराष्ट्रपति का चीन को संदेश: “आक्रामक सैन्य गतिविधियां बेअसर और विकास में बाधक”
ताइवान की उपराष्ट्रपति सियाओ बी-खिम ने शुक्रवार को कहा कि “चीन की आक्रामक सैन्य रणनीति न सिर्फ व्यर्थ है, बल्कि यह ताइवान जलडमरूमध्य के दोनों ओर रहने वाले लोगों को विकास और समृद्धि के अवसरों से वंचित कर रही है।” उन्होंने आगे कहा, “चीन के साथ यथास्थिति बनाए रखना हमारा चयन है — इसलिए नहीं कि यह आसान है, बल्कि इसलिए क्योंकि यह जिम्मेदाराना है और पूरे क्षेत्र के हित में है।”
सियाओ ने यह भी बताया कि चीन ने 2023 में उन पर दूसरी बार प्रतिबंध लगाए थे, लेकिन इनका कोई व्यावहारिक असर नहीं पड़ता क्योंकि ताइवान के वरिष्ठ अधिकारी चीन की यात्रा नहीं करते और चीनी कानून का पूरी तरह स्वतंत्र रूप से शासित ताइवान पर कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है।
यह बयान ताइवान और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच आया है, जहां ताइवान ने दोहराया है कि वह शांति चाहता है, पर अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था और स्वतंत्र अस्तित्व से समझौता नहीं करेगा।
चीन का दोहराव: “ताइवान और मुख्यभूमि चीन एक ही देश का हिस्सा हैं”
बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि ताइवान की सत्तारूढ़ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (DPP) कुछ भी कहे या करे, जलडमरूमध्य के दोनों ओर के हिस्से “एक चीन” के सिद्धांत के अंतर्गत आते हैं।
ताइवान-अमेरिका व्यापार वार्ता पर सियाओ का बयान
ताइवान की उपराष्ट्रपति सियाओ बी-खिम ने कहा, “संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ, हमारे वार्ताकार लगातार काम कर रहे हैं ताकि पारस्परिक टैरिफ को लेकर समझौता हो सके, जिससे व्यापार संतुलन स्थापित किया जा सके और तकनीक, निवेश और अन्य क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा मिले।”
टैरिफ को लेकर ताइवान की चुनौती
ताइवान, जो विश्व का एक प्रमुख सेमीकंडक्टर उत्पादक है, अमेरिका के साथ व्यापार को लेकर नई चुनौती का सामना कर रहा है। अप्रैल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ताइवान पर 32 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिसे फिलहाल वार्ता को बढ़ावा देने के लिए स्थगित कर दिया गया है।