दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद को डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ भ्रामक और नकारात्मक विज्ञापन प्रसारित करने से रोक दिया है। अदालत का यह फैसला डाबर इंडिया लिमिटेड द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान आया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने पतंजलि को डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ विज्ञापन प्रसारित करने से रोका
दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को पतंजलि आयुर्वेद को डाबर च्यवनप्राश के खिलाफ कथित रूप से मानहानिकारक (disparaging) विज्ञापन प्रसारित करने से रोक दिया है।
न्यायमूर्ति मीना पुष्कर्णा की एकल पीठ ने डाबर इंडिया द्वारा दायर अंतरिम याचिकाओं को स्वीकार करते हुए कहा,“याचिका स्वीकार की जाती है।”
क्या है च्यवनप्राश विवाद?
च्यवनप्राश विवाद उस समय शुरू हुआ जब पतंजलि ने एक विज्ञापन प्रसारित किया, जिसमें बाबा रामदेव अन्य कंपनियों द्वारा बनाए जा रहे च्यवनप्राश की प्रामाणिकता (authenticity) पर सवाल उठाते नजर आए।
विज्ञापन में बाबा रामदेव कहते हैं: “जिनको आयुर्वेद और वेदों का ज्ञान नहीं, चरक, सुश्रुत, धन्वंतरि और च्यवनऋषि की परंपरा में ‘असली’ च्यवनप्राश कैसे बना पाएंगे?”
इस कथन को लेकर विवाद तब और गहरा गया जब विज्ञापन में अन्य ब्रांड्स के 40 जड़ी-बूटियों वाले च्यवनप्राश को ‘साधारण’ बताया गया।
डाबर ने क्या कहा?
डाबर इंडिया ने अदालत में कहा कि पतंजलि के विज्ञापन में इस्तेमाल किया गया “40+ जड़ी-बूटियों वाला” टैग सीधे तौर पर डाबर च्यवनप्राश के उत्पाद को निशाना बनाता है, क्योंकि डाबर का च्यवनप्राश बाज़ार में 60% से अधिक हिस्सेदारी रखता है।
डाबर ने अदालत में यह भी तर्क दिया कि पतंजलि का विज्ञापन भ्रामक है और उपभोक्ताओं के भरोसे को कमजोर करता है, जबकि च्यवनप्राश एक ऐसा उत्पाद है जो सख्त नियमों और मानकों के तहत नियंत्रित होता है।
डाबर ने कहा कि च्यवनप्राश एक परंपरागत आयुर्वेदिक सूत्रीकरण (Classical Ayurvedic Formulation) है, जिसे ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट के तहत नियंत्रित किया जाता है। इस कानून के अनुसार, च्यवनप्राश का निर्माण केवल प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में वर्णित विधियों के अनुसार ही किया जाना चाहिए।
डाबर का कहना है कि अन्य ब्रांड्स को “साधारण” (ordinary) कहना न केवल गुमराह करने वाला है, बल्कि हानिकारक भी है — इससे न केवल उपभोक्ताओं में भ्रम पैदा होता है, बल्कि आयुर्वेदिक उत्पादों की समग्र छवि को भी नुकसान पहुंचता है।
डाबर इंडिया को मार्च 2025 की चौथी तिमाही में 8.35% की गिरावट, मुनाफा ₹312.73 करोड़ रहा
डाबर इंडिया ने वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (31 मार्च 2025 को समाप्त) में ₹312.73 करोड़ का समेकित शुद्ध लाभ (net profit) दर्ज किया है, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 8.35% कम है। कंपनी ने यह जानकारी अपनी रेगुलेटरी फाइलिंग में दी।
पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में कंपनी का शुद्ध लाभ ₹341.22 करोड़ रहा था।